कई बार कानून बदले, फिर भी भारत में नहीं थम रहे बलात्कार


पूरे देश को दहला देने वाले साल 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले की आज आठवीं बरसी है। उस वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद देश भर में इसके खिलाफ आवाज उठाई गई थी और बलात्कारियों के खिलाफ कड़े कानून की मांग की गई थी। देश की जनता के गुस्से को देखते हुए सरकार को भी बलात्कार से संबंधित सभी कानूनों को कड़े फेरबदल करने पड़े। लेकिन आज भी भारत में बलात्कार के मामले कम नहीं हुए हैं। देश में बलात्कार के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर किसी के मन में एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर 2012 के वीभत्स निर्भया कांड के खिलाफ में जो आवाज उठी थी, उसका असर आज कितना दिख रहा है और समाज में क्या बदलाव आया है। यदि कानून भी कड़े कर दिए जाएं तो क्या बलात्कार जैसी आपराधिक घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है। निर्भया कांड के बाद भी देश में उन्नाव, हरदोई, मुजफ्फरपुर, हैदराबाद, हाथरस, झारखंड जैसे रेप या गैंगरेप के मामले सामने आते रहे हैं। जिस पर कुछ दिनों आक्रोश भड़कता है या राजनीति होती है। उसके बाद ये मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।
जब दुष्कर्म मामले में सीबीआई ने दिखाई फुर्ती

देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो यह मानता है कि देश में बलात्कार के दोषियों के खिलाफ चाहे कितने भी कड़े कानून बना लिए जाएं, लेकिन जब तक उस पर अमल नहीं होगा। अपराधियों में खौफ पैदा नहीं होगा। ऐसा ही एक मामला झारखंड के रांची शहर का है। रांची में 15 दिसंबर 2016 की रात एक बीटेक की छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद जघन्य हत्या कर दी गई थी। तीन साल तक जब मामला लंबित रहा तो आखिर में सीबीआई सक्रिय हुई तो मात्र 16 दिनों में अभियोजन पक्ष की गवाही पूरी करा ली गई, जो एक रिकॉर्ड था। आखिरकार इस मामले में दोषी राहुल राज उर्फ राज श्रीवास्तव को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई गई थी। यदि झारखंड राज्य की ही बात करें तो राज्य में करीब 497 रेप के मामले लंबित हैं। न्याय मिलने में देरी के कारण भी अपराधियों को हौसले बढ़ते हैं।
पाकिस्तान ने बनाया बलात्कारियों के खिलाफ कड़ा कानून

हाल ही में पाकिस्तान ने बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानून को मंजूरी दी है। इसमें दुष्कर्म के दोषियों को दवा देकर बधिया भी बनाया जा सकता है। इस कानून के तहत बलात्कार के दोषी को 25 साल कैद की सजा दी जाएगी या उसकी सहमति से नपुंसक बनाकर छोड़ दिया जाएगा। साथ ही नए कानून के अनुसार अब दुष्कर्म के मामलों में सुनवाई चार माह में पूरी करना अनिवार्य होगा।
निर्भया कांड के बाद भी भारत में नहीं रूके बलात्कार के मामले

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक निर्भया कांड के बाद भी भारत में दुष्कर्म के मामलों में कमी नहीं आई है। निर्भया कांड के बाद बलात्कार से संबंधित मामलों में कड़े कानून बनाए गए हैं, लेकिन सही समय पर कानून के लागू न होने और न्याय मिलने में देरी होने के कारण अपराधियों में खौफ नहीं है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 में औसतन हर रोज में 91 महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले सामने आए थे। वहीं साल 2018 में कुल 33,356 बलात्कार के मामलों सामने आए थे। वहीं एक साल पहले 2017 में 32,559 रेप हुए थे। तो 2016 में यह संख्या 38,947 थी।
दुष्कर्म के कुल मामलों में सिर्फ 27 फीसदी को सजा

एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह भी खुलासा होता है कि दुष्कर्म के दोषियों को सजा देने की दर देश में मात्र 27.2% है। 2017 में दोषियों को सजा देने की दर कुछ ज्यादा 32.2 फीसदी थी। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक बीते 17 सालों की तुलना में बलात्कार के मामले दोगुने हो गए हैं। 2001‐2017 के बीच पूरे देश में कुल 415786 बलात्ककार के मामले दर्ज किए गए हैं। इस लिहाज से देखें तो हर दिन औसतन 67 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना हुई।
 
कई बार कानून बदले, फिर भी भारत में नहीं थम रहे बलात्कार कई बार कानून बदले, फिर भी भारत में नहीं थम रहे बलात्कार Reviewed by HealthTak on December 16, 2020 Rating: 5

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