Jyotish Shastra : हिन्दू धर्मशास्त्रों में सूर्यदेव को अर्घ्य देने का बड़ा महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में किसी भी ग्रह के कमजोर होने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं ग्रहों के मजबूत करने के लिए कुछ उपायों के बारे में भी ज्योतिष में बताया गया है। ग्रहों के कमजोर होने पर व्यक्ति को अलग-अलग समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर या नीच का है तो उसे एंग्जाइटी और घबराहट आदि का सामना करना पड़ता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है और आपको बार-बार घबराहट होती है। तथा एंग्जाइटी होती है तो ये कुंडली में सूर्य के प्रभावित होने या नीच होने का संकेत होता है। सूर्य आत्मविश्वास से लबरेज और एनर्जी से भरा हुआ ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि, जिन लोगों का सूर्य मजबूत होता है, उन्हें जीवन में किसी भी तरह के फैसले लेने में कोई समस्या नहीं होती है। ऐसे लोग साहसी होते हैं, लेकिन सूर्य के कमजोर होने पर व्यक्ति में कॉन्फिडेंस की कमी होने लगती है। ज्योतिष में कहा गया है कि कुछ बीमारियों से जूझ रहे लोगों को नियमित रूप से सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। तो आइए जानते हैं किन बीमारियों से ग्रसित लोगों को सूर्यदेव को जरुर अर्घ्य देना चाहिए।
एंग्जाइटी
एंग्जाइटी से गुजर रहे लोगों को सूर्यदेव को जरुर नियमित रुप से अर्घ्य देना चाहिए। क्योंकि कुछ लोगों को छोटी-छोटी बातों पर एंग्जाइटी होने लगती है। ऐसे लोगों को भीड़ में एंग्जाइटी अटैक करने लगती है। इसीलिए ऐसे लोगों को नियमित रूप से सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इससे उन्हें पॉजेटिव एनर्जी के साथ मानसिक मजबूती मिलती है और उन्हें ऐसे में बहुत लाभ होता है।
डिप्रेशन के मरीज
डिप्रेशन के मरीज को भी नियमित रुप से सूर्यदेव को जल देना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा इसीलिए कहा जाता है कि सूर्य और उसकी रोशनी मनुष्य के शरीर में मनुष्य के शरीर में हैप्पी हार्मोंस बढ़ाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं ये कई और भी हार्मोंस को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। वहीं सूर्यदेव को जल अर्पित करने से मानव मस्तिष्क में नए और अच्छे विचार आते हैं, जोकि डिप्रेशन के व्यक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कहते हैं कि, डिप्रेशन व्यक्ति के बीपी को बढ़ाता है और व्यक्ति को हाई बीपी की शिकायत होने लगती है। सूर्य व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करता है। इससे व्यक्ति डिप्रेशन को कंट्रोल कर सकता है। नियमित रुप से सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति का सूर्य मजबूत होता है और वह ऐसी बीमारियों से बचे रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे सटीक समय सुबह नौ बजे से पूर्व का होता है। वहीं सूर्योदय के दौरान ही जल अर्पित करना सबसे उत्तम माना जाता है। अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में चावल, चंदन, और लाल फूल के साथ गुड़ और तिल मिले जल से अर्ध्य देना शुभ माना जाता है। वहीं सूर्योदय के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करना मन और सेहत दोनों के लिए लाभदायक है।
(Disclaimer: इस स्टोरी में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। Haribhoomi.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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