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बथुआ एक ऐसी खरपतवार है, जो सब्जियों के बीच घास की तरह अपने आप उग जाती है, लेकिन सर्दी के इस मौसम में यह हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाने में तो काम आती ही है, साथ ही उसकी मदद से हम सर्दी का भी सामना कर सकते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे चीनोपोडियम एल्बम कहते हैं। यह विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9 और विटामिन सी से भरपूर होता है और इसमें कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम और जिंक जैसे मिनरल्स भी बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं। अगर हम 100 ग्राम बथुए का सेवन करें तो इससे हमें 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन और 4 ग्राम फाइबर्स मिलते हैं, जिसमें कुल 43 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है।
बथुआ का सेवन करने से गुर्दों में पथरी बनने की समस्या कम होती है। इससे आमाशय ताकतवर बनता है और बढ़े हुए यकृत को भी ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है। बथुए का सेवन करते समय मसालों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए और नमक तो न ही मिलाएं तो अच्छा है। यदि स्वाद के लिए नमक डालना है तो काला नमक या लाहौरी नमक मिलाएं और गाय के घी से छौंक लगाएं। बथुए के सेवन से पाचन क्रिया ठीक रहती है और यह कब्ज को दूर करता है। इसका उबाला हुआ पानी पीने से खराब लीवर को स्वस्थ किया जा सकता है।
सर्दियों में बथुआ आमतौर पर छाछ, लस्सी या दही में मिला कर इस्तेमाल किया जाता है जिससे बहुत स्वादिष्ट रायता बनता है और यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन देने वाला और सुपाच्य-पौष्टिक आहार होता है।
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