Myths About Sexual Intercourse: शारीरिक संबंध बनाना एक ऐसा टॉपिक है, जिसको लेकर दुनिया में बहुत से मिथक पसरे हुए हैं। साथ ही, यह एक ऐसा टॉपिक है, जिस पर लोग खुलकर बात करने में कम्फर्टेबल नहीं होते हैं। यही कारण है कि कई लोग इससे जुड़ी कही सुनी बातों और अफवाहों पर विश्वास करने लग जाते हैं। अगर आप भी यौन संबंधों के बारे में कुछ मिथकों पर विश्वास कर रहे हैं, तो अब समय आ गया है कि आप सच्चाई से रूबरू हो जाएं। चलिए देखते हैं कौन से हैं यह मिथक:-
फीलिंग्स से संबंध बनाने की प्रोसेस कम होता है दर्दनाक
शारीरिक संबंध बनाना या कम से कम पहली बार बनाना, एक दर्दनाक अनुभव हो सकता है। कई लोग इस प्रक्रिया को कम दर्दनाक बनाने के लिए लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो मानते हैं कि संबंध बनाने के दौरान होने वाले दर्द की मात्रा पार्टनर के लिए होने वाले अट्रैक्शन से जुड़ी होती है। लेकिन इस मिथक में बस इतनी ही सच्चाई है कि आपकी फीलिंग्स आपके पार्टनर के लिए एक्साइटमेंट लेवल को बढ़ाती है। इसका कम दर्दनाक होने से कोई लेनादेना नहीं है।
उम्र के साथ सेक्स ड्राइव हो जाती है कम
बहुत से लोग सोचते हैं कि उम्र बढ़ने का हार्मोन और कामेच्छा पर प्रभाव पड़ता है। यह एक हद तक ठीक भी है लेकिन कुछ मामलों में प्रभाव पॉजिटिव भी हो सकता है। धीरे-धीरे समय के साथ लोग अपने पार्टनर की पसंद और नापसंद जानकार उनके साथ एक स्वस्थ और सुखी यौन जीवन जी सकते हैं।
पुरुषों में महिलाओं की तुलना में कम होती है कामेच्छा
पुरुष सेक्स ड्राइव किशोरावस्था के अंत में चरम पर होती है, जबकि महिलाओं में यह 30 के दशक तक नहीं होता है। इसलिए, कामेच्छा का लिंग से कोई संबंध नहीं है।
टॉयलेट सीट से फैल सकता है एसटीआई
नहीं, कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infection) शरीर पर मौजूद हो सकता है या फिर यह वायरस के फैलने और सिम्प्टम दिखने के बीच के समय में हो सकता है। इस वजह से पहले इंसान के टेस्ट नेगेटिव हो सकते हैं और बाद में पॉजिटिव हो सकते हैं। लेकिन यह निश्चित है कि संक्रमित टॉयलेट सीट के संपर्क में आने से नहीं फैलता है।
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