Know All About Stroke: दुनियाभर में स्ट्रोक दूसरे नंबर की सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक बनी हुई है, इससे संबंधित आंकड़ों को लेकर रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) का कहना है कि संयुक्त राज्य में 795,000 से अधिक लोगों को हर साल स्ट्रोक होता है, स्ट्रोक के तीन मुख्य प्रकार हैं। 87% मामलों में पहला और सबसे आम इस्केमिक स्ट्रोक होता है। यह तब होता है जब दिमाग को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली धमनी (Artery) में रक्त प्रवाह (Blood Flow) अवरुद्ध हो जाता है।
स्ट्रोक का दूसरा प्रकार एक रक्तस्रावी स्ट्रोक (ischemic attack) है, जो दिमाग में धमनी (Artery) के फटने के कारण होता है। यह आसपास के टिशूज को नुकसान पहुंचाता है। वहीं तीसरे और आखिरी प्रकार का स्ट्रोक ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (transient ischemic attack) है, जिसे "मिनीस्ट्रोक" भी कहा जाता है। यह तब होता है, जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह (Blood Flow) अस्थायी रूप से अवरुद्ध हो जाता है।
बता दें कि स्ट्रोक बहुत आम साथ ही जानलेवा बीमारी हो गयी है, इसे लेकर अक्सर गलत थ्योरी बनाई जाती है। यही कारण है कि इस विषय पर मिथकों को दूर करने और अपनी समझ को बेहतर बनाने के लिए आपको कुछ मिथकों की सच्चाई जाननी चाहिए। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इसी से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां देंगे :-
Myth 1: स्ट्रोक दिल की समस्या है
अक्सर स्ट्रोक को दिल की समस्या से जोड़कर देखा जाता है, बता दें कि स्ट्रोक कार्डियोवैस्कुलर जोखिम कारकों से जुड़ा जरूर होता है, लेकिन स्ट्रोक दिमाग से संबंधित बीमारी है। इसका दिल से कोई संबंध नहीं है। बता दें कि स्ट्रोक दिमाग में धमनियों (Arteries) या नसों के ब्लॉक होने या टूटने के कारण होता है। कुछ लोग स्ट्रोक को दिल के दौरे से जोड़कर देखते हैं, लेकिन हार्ट अटैक की समस्या दिल में रक्त के प्रवाह (Blood Flow) में रुकावट के कारण होता है।
Myth 2: स्ट्रोक को रोका नहीं जा सकता
विश्वभर में दूसरा सबसे मशहूर मिथक है कि स्ट्रोक को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन यहां अहम बात ये है कि स्ट्रोक के "सबसे आम जोखिम कारक, उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), धूम्रपान (Smoking), उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholestrol), मोटापा (Obesity), मधुमेह (Diabetes), सिर या गर्दन पर आघात (Trauma to the head or neck), और कार्डियक अतालता (Cardiac Arrhythmias,) शामिल हैं।
बता दें कि स्ट्रोक के आम कारक हमारे रोजमर्रा के लाइफस्टाइल से जुड़े हुए हैं, जिसमें बदलाव और सुधार किया जा सकता है। अगर हम नियमित रूप से व्यायाम करने और स्वस्थ आहार खाने की शुरुआत करें तो उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और मधुमेह जैसे जोखिम वाले कारकों को कम किया जा सकता है। अन्य कारकों की बात करें तो इसमें शराब का सेवन और तनाव शामिल हैं। सरल शब्दों में कहें तो अगर हम अपने लाइफस्टाइल को सुधारने में सफल हो जाते हैं तो स्ट्रोक होने के चांसेस अपने आप ही कम हो जाते हैं।
Myth 3: जेनेटिक नहीं होता स्ट्रोक
तीसरा सबसे प्रचलित मिथक ये है कि स्ट्रोक जेनेटिक नहीं होता है। लेकिन सच्चाई ये है कि सिंगल जीन रोग एक व्यक्ति में स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं। उच्च रक्तचाप और अन्य हृदय संबंधी जोखिम वाले कारकों के लिए उच्च जोखिम सहित आनुवंशिक कारक (Genetic factors) भी अप्रत्यक्ष रूप से स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। जैसा कि परिवार के लोग पर्यावरण और लाइफस्टाइल साझा करते हैं, अन्हेल्दी लाइफस्टाइल कारकों से परिवार के सदस्यों के बीच स्ट्रोक का जोखिम बढ़ने की संभावना है।
Myth 4: स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना है मुश्किल
स्ट्रोक के लिए सबसे आम लक्षण "F.A.S.T." है, आइये जानते हैं क्या है फास्ट:-
एफ: जब चेहरे का एक हिस्सा सुन्न हो जाता है और एक असमान "मुस्कान" अपने आप आ जाती है।
ए: बांह की कमजोरी, जब एक हाथ कमजोर या सुन्न हो जाता है तो हाथ धीरे-धीरे नीचे की ओर जाता है।
एस: बात करने में परेशानी या अस्पष्टता।
टी: मेडिकल हेल्प लेने का समय आ गया है।
स्ट्रोक के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:-
चेहरे, हाथ, पैर या शरीर के एक हिस्से में सुन्नता या कमजोरी।
बोलने या समझने में भ्रम और परेशानी।
एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई।
चलने में कठिनाई, जिसमें चक्कर आना, संतुलन और समन्वय की हानि शामिल है।
बिना किसी ज्ञात कारण के बहुत ही गंभीर सिरदर्द।
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