Surrogacy: बीते कुछ सालों से सोशल मीडिया समेत आम जिंदगी में एक शब्द बहुत ही ज्यादा सुनने को मिल रहा है। साल 2022 में यह शब्द गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च भी किया गया था। ये शब्द है 'सरोगेसी', कुछ लोगों को सरोगेसी के बारे में जानकारी है, लेकिन समाज में एक बड़ा तबका ऐसा है, जिन्हें 'सरोगेसी' के बारे में कम ही जानकारी है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सरोगेसी क्या है, ये कब और क्यों की जाती है? आपने सरोगेसी शब्द सबसे ज्यादा बॉलीवुड के कई सितारों के मां-बाप बनने के बाद सुना होगा। अभी तक सरोगेसी के जरिए प्रियंका चोपड़ा, शाहरुख खान, आमिर खान, करण जोहर, शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा जैसे कई बड़े सितारों ने माता-पिता बनने का सुख पाया है। कुछ समय पहले सरोगेसी के नियम और इससे जुड़ा बिल भी चर्चा का विषय बना हुआ था।
क्या है सरोगेसी? (What is surrogacy)
अगर आसान शब्दों में इसे समझाएं तो अपनी पत्नी में नहीं बल्कि किसी दूसरी महिला की कोख में अपने बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है। इसके साथ ही ऐसे कपल जो माता-पिता तो बनना चाहते हैं, लेकिन वह बच्चे पैदा नहीं कर सकते, वे भी सरोगेसी का तरीका अपनाते हैं। सरोगेसी भी दो तरह की होती हैं, इसके लिए कुछ कानूनन और नियम भी बनाए गए हैं। सरोगेसी 2 तरह की होती है:-
पहली: ट्रेडिशनल सरोगेसी
दूसरी: जेस्टेशनल सरोगेसी
ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional surrogacy)
ट्रेडिशनल सरोगेसी में डोनर या फिर पिता के स्पर्म को सरोगेट मदर के अंडाणु (egg) से मिलाया जाता है। इस प्रोसेस में बच्चे की बायोलॉजिकल मदर सरोगेट मदर होती है। आम भाषा में कहें तो सरोगेट मदर वह होती है, जिसकी कोख किराए पर ली जाती है। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद उसके ऑफिशियल माता-पिता वही होते हैं, जिन्होंने सरोगेसी के लिए सरोगेट मदर को ऑप्ट किया है, इन माताओं का बच्चों पर अधिकार नहीं होता है।
जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational surrogacy)
जेस्टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के स्पर्म और एग को मिलाकर सेरोगेट मदर की कोख में रखा जाता है। इस प्रक्रिया में सरोगेट मदर केवल बच्चे को जन्म देती है। सेरोगेट मदर का जेनेटिकली बच्चे से कोई संबंध नहीं होता, जेनेटिकली भी बच्चे की मां सरोगेसी कराने वाली महिला ही होती है।
कब अपनाना चाहिए सरोगेसी का विकल्प?
किन्हीं कारणों की वजह से जब कोई कपल बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होता है, तो सरोगेसी को चुनना एक अच्छा ऑप्शन है। इसके अलावा इस ऑप्शन को तब चुना जा सकता है, जब-
- महिला का यूट्रस जन्म से ही विकसित न हुआ हो।
- आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment) 3 बार या उससे अधिक बार फेल हुआ हो।
- महिला को बच्चेदानी की टीबी हो।
- कोई ऐसी बीमारी हो, जिसके चलते गर्भधारण नहीं कर पा रही हो।
- बार-बार अबॉर्शन हो रहा हो।
सरोगेसी में कितना खर्चा आता है?
बता दें कि सरोगेसी का कोई फिक्स खर्चा नहीं है, लेकिन अनुमानित खर्चा 7 से 25 लाख तक हो सकता है। हालांकि यह खर्चा कपल पर निर्भर रहता है कि वह अपने बच्चे को कितना स्वस्थ चाहते हैं, क्योंकि बच्चे पर माता के स्वास्थ्य का असर पड़ता है। इसलिए सरोगेट मदर की अच्छी देखभाल और रेगुलर चेकअप पर होने वाले खर्चे के हिसाब से इसका पूरा खर्च बैठता है। सरोगेट मदर की डाइट, रेगुलर चेकअप से लेकर बच्चे के पैदा होने तक जो भी खर्चा आता है, वहीं इस सरोगेसी प्रक्रिया का खर्चा होता है। सरोगेसी में बच्चा पैदा करने वाली सेरोगेट मदर को भी पैसा दिया जाता है। सरोगेसी की प्रक्रिया के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट भी तैयार करवाया जाता है।
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