मिथ्स से रहें दूर, संभव है एपिलेप्सी ट्रीटमेंट

प्रतीकात्मक तस्वीर

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मिरगी यानी एपिलेप्सी, ब्रेन से रिलेटेड रोग है, जिसका ट्रीटमेंट संभव है। लेकिन इसे लेकर कई मिथ्स लोगों में प्रचलित हैं। इन मिथ्स की सच्चाई, रोग के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानिए। 

मस्तिष्क से संबंधित गड़बड़ियों के कारण जो स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं उनमें से कई के बारे में सामाजिक भ्रांतियां प्रचलित हैं। मिरगी भी उन्हीं में से एक है। जबकि उचित उपचार मिलने पर मिरगी रोगी पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकता है। आम लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल आज के दिन (17 नवंबर) को मिरगी दिवस मनाते हैं। जानिए, इससे जुड़ी अहम बातें।

क्या है मिरगी: मिरगी यानी एपिलेप्सी मस्तिष्क से संबंधित एक रोग है जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे थोड़ी देर में समाप्त हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान शरीर की जो मूवमेंट होती है, उस पर रोगी का कोई नियंत्रण नहीं होता है। यह मूवमेंट शरीर के एक भाग में या पूरे शरीर में हो सकती है। जब मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं, विद्युतीय आवेशों को सामान्य से तेज गति से छोड़ने लगती हैं तो इसके कारण मस्तिष्क में एक विद्युतीय तूफान उत्पन्न हो जाता है, जिसे दौरा कहा जाता है। 

प्रमुख लक्षण: शरीर की गति और संवेदनाएं प्रभावित होना। झुनझुनाहट होना। उस गंध को सूंघना जो वास्तव में वहां होती ही नहीं है। भावनात्मक बदलाव। देखने, सुनने और स्वाद को पहचानने की क्षमता प्रभावित होना और बेहोशी छा जाना। 

कारण : गिरने से सिर पर गहरी चोट लगना। स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर, डिमेंशिया, अल्जाइमर्स जैसी बीमारियां। संक्रमण जैसे मेनेनजाइटिस, मस्तिष्क में फोड़ा होना, एड्स। जन्मजात मानसिक समस्या। भावनात्मक दबाव, नींद की कमी। गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएं होना। अत्यधिक शराब का सेवन। मस्तिष्क की रक्त कोशिकाओं की असामान्यता आदि कारण हो सकते हैं।

ट्रीटमेंट : दवाइयों के द्वारा मिरगी के लगभग 80 प्रतिशत मामलों को ठीक किया जा सकता है। बहुत ही कम मामलों में जहां दवाइयों या दूसरे उपचारों से मरीज की स्थिति में सुधार नहीं आता, सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

मिथ-फैक्ट: मिरगी के बारे में लोगों में बहुत से मिथ प्रचलित हैं, जिनकी सच्चाई आपको जरूर पता होनी चाहिए। 

मिथ : मिरगी जादू-टोने के कारण होती है।

फैक्ट : मिरगी का जादू-टोने से कोई संबंध नहीं है। यह एक मानसिक रोग है, जो मस्तिष्क में शार्ट सर्किट होने से होता है, जिसके कारण पीड़ित को दौरे पड़ते हैं।   

मिथ : मिरगी से बुद्धिमत्ता प्रभावित होती है।

फैक्ट: जिन लोगों को मिरगी आती है उनका आई-क्यु लेवल भी उतना ही होता है जितना सामान्य लोगों का होता है। हां, इस रोग से पीड़ित लोगों को सीखने में परेशानी हो सकती है। 

मिथ : मिरगी एक गंभीर रोग है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं।

फैक्ट : कई मिरगी पेशेंट्स को बार-बार दौरे पड़ते हैं, किसी-किसी को रोज दौरे पड़ते हैं तो किसी को साल में एक बार। कुछ मरीजों को एक दशक या उससे अधिक समय तक दौरा नहीं पड़ता है। 

मिथ : मिरगी रोगी सामान्य जीवन नहीं जी सकते हैं।

फैक्ट : यह बीमारी आपको पढ़ाई या कार्यस्थल पर अच्छा प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकती। इस रोग से पीड़ित लोग शादी कर सकते हैं, अपना परिवार बढ़ा सकते हैं। इस रोग का दवाइयों और दूसरे उपायों के द्वारा प्रबंधन करके सामान्य जीवन जिया जा सकता है। हां, ऐसे लोगों को ड्राइविंग और स्विमिंग से दूर रहना चाहिए।  

मिथ : जैसे ही किसी को मिरगी का दौरा पड़े तुरंत ही उसके मुंह में चम्मच या अंगुली डाल देना चाहिए।

फैक्ट : जिस व्यक्ति को दौरा पड़ा है, अगर आप बलपूर्वक उसके मुंह में कुछ डालेंगे तो इससे उसके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है, उसके मसूड़े कट सकते हैं। कुछ लोग दौरा पड़ने पर पीड़ित को जूता सुंघाते हैं, यह भी पूरी तरह गलत उपाय है। 



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मिथ्स से रहें दूर, संभव है एपिलेप्सी ट्रीटमेंट मिथ्स से रहें दूर, संभव है एपिलेप्सी ट्रीटमेंट Reviewed by HealthTak on November 19, 2022 Rating: 5

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